मसूरी में घूमने की 10 खूबसूरत जगह
पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर उत्तराखंड में बसी यह जगह, जो मसूरी के नाम से विख्यात है। मसूरी न केवल उत्तराखंड वासियों के लिए रमणीय स्थल है बल्कि देश-विदेश के लोगों के लिए भी आकर्षण का मुख्य केंद्र बिंदु है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला की सुंदरता के बीच स्थित है। अपनी हरी-भरी पहाड़ियों, बहते झरनों और शानदार दृश्यों के साथ प्रकृति की सुंदरता का स्मारक है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल निकटवर्ती लंढौर कस्बा और झड़ीपानी सहित ग्रेटर मसूरी में आता है। इसकी औसत ऊंचाई समुद्र तल से 2005 मी. (6600 फ़ीट) है।
मसूरी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व में हिमालय शिखर हमेशा अपना सिर उठाए दृष्टिगोचर होते हैं, तो वहीं दक्षिण में देहरादून की घाटी और शिवालिक श्रेणी दिखाई देती हैं। यही नहीं, मसूरी गंगोत्री नदी का प्रवेश द्वार भी है। यही कारण है कि यह शहरी पर्यटकों के लिए किसी परीमहल जैसा लगता है। राजधानी देहरादून से मसूरी की दूरी 35 कि.मी. है। बताते हैं कि यहाँ पहले बड़े पैमाने पर उगने वाले मसूर के पौधे के कारण इसे पहले मंसूरी फिर मसूरी कहा जाने लगा।
तो दोस्तों आगे बढ़ते हुए आज आपको बताते हैं वह 10 खूबसूरत मसूरी में घूमने की जगह जो आपकी यात्रा में चार चाँद लगाएंगे।
मसूरी में घूमने की 10 खूबसूरत जगहें
जब भी पहाड़ों पर घूमने का मन होता है तो कहीं न कहीं मसूरी सबकी पहली पसंद होती है। मसूरी में घूमने की जगह जहाँ के पहाड़, झरने और हिमालय की खूबसूरती हमें यहाँ खींच ले आती है। यहाँ केवल मौज-मस्ती या ट्रैकिंग ही नहीं होती, वरन यहाँ सुकून का वो खजाना है जो शायद ही कहीं और हो। यह बात सच है कि पहले की मसूरी और अब की मसूरी में बहुत बदलाव देखे गए हैं। अब मसूरी को टूरिस्ट प्लेस की पहली पसंद बनाने के लिए यहाँ निरंतर विकास किया जाता रहा है। अगर आपको लगता है कि मसूरी के पास केवल एक ही हिल स्टेशन है, तो आप गलत हैं! मसूरी के पास एक नहीं बल्कि ऐसे कई हिल स्टेशन हैं, जो आपको आनंदित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वैसे तो इन जगहों का मौसम हर वक्त बेहद सुहाना रहता है पर यहाँ ज्यादा आवाजाही गर्मियों के मौसम में होती है। चलिए अब इन खूबसूरत जगहों का सफर आपको कराते हैं।
केम्प्टी फॉल्स( Kempty Fall)
केम्प्टी फॉल्स मसूरी की उन जगहों में से एक है जो आगंतुकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। यह मसूरी में घूमने की जगह जिसके पीछे कई वजहें हैं जिनमें सबसे पहले फोटोग्राफी आती है। यह एक झरना है जिसकी तस्वीर यहाँ आने वाले हर व्यक्ति की गैलरी में सेव हो जाती है। हरी-भरी झाड़ियों और बादलों के धुंध से घिरा यह दूधिया झरना बहते हुए बेहद खूबसूरत लगता है। बेहतरीन नजारों के साथ यहाँ ढेरों गतिविधियाँ भी उपलब्ध हैं। केम्प्टी फॉल्स में जल का स्रोत यहाँ के झरनों को यमुनोत्री यमुना नदी के पानी से मिलता है और यह घने जंगलों और ऊँची पर्वत श्रंखलाओं से टकराते हुए बहते हैं। कहते हैं कि इस जगह की खोज सन 1835 में जॉन मैकिनन ने की थी। इस जगह पर अंग्रेज और पर्यटक के लिए आए लोग चाय का मजा लेकर कैंप करते थे जिस कारण इसका नाम केम्प-टी-फॉल रखा गया।
कैसे पहुँचे केम्प्टी फॉल्स:
केम्प्टी फॉल्स मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर दूर यमुनोत्री रोड पर स्थित है। मसूरी के पास एक जगह है टाउन सेंटर जहाँ से आप 30 मिनट की ड्राइव करके पहुँच सकते हैं। देहरादून से केम्प्टी फॉल्स की दूरी 45 किलोमीटर है। यहाँ आप लोकल यातायात के साधन से पहुँच सकते हैं।
क्लाउड एंड(Cloud End)
Cloud End (क्लाउड्स एंड), मसूरी के एकदम पश्चिम की तरफ लाइब्रेरी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर एक बंगला 1838 में एक ब्रिटिश मेजर ने बनवाया था। कहा जाता है कि यह मसूरी में बने पहले चार भवनों में से एक है। यहाँ पर खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने के अलावा आपको अंग्रेजी वास्तुकला का दीदार भी होगा। विकास के चलते अब इस महल को हैरिटेज होटल में बदल दिया गया है। क्लाउड एंड घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहाँ पेड़-पौधों की विविध किस्में आपको दिखाई देती हैं। यहाँ से हिमालय की पहाड़ियों और यमुना नदी को देखना आँखों को सुकून देने जैसा लगता है। अगर आप यहाँ आना चाहते हैं तो हाथीपांव से हैप्पी वैली वाली सड़क पर पैदल यात्रा करते हुए भी यहाँ तक पहुँच सकते हैं।
कैसे पहुँचें:
क्लाउड एंड जाने का सही समय ग्रीष्म ऋतु में होता है। चूंकि ये पहाड़ी इलाका है तो बारिश के मौसम में यहाँ लैंडस्लाइड के चलते फँसने का खतरा रहता है। मसूरी शहर से इस जगह की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है। जीप या टैक्सी की मदद से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
गन हिल प्वाइंट – Gun Hill Point
मसूरी की दूसरी सबसे ऊँची चोटियों में शामिल है “गन हिल” (Gun Hill)। गन हिल के मनोरम दृश्य, जिनमें एक ओर बादलों को छूती हिमालय की ऊँची चोटियाँ हैं तो दूसरी ओर दूर की सुंदर घाटियाँ, मानों प्रकृति ने हमेशा के लिए यहाँ वास कर लिया हो। मसूरी के माल रोड से ऊँची चढ़ाई करके या रोपवे द्वारा पर्यटक गन हिल तक पहुँचते हैं, जो समुद्र तल से लगभग 2580 मीटर की ऊँचाई पर है। यहाँ जाने का सबसे उपयुक्त समय सूर्यास्त से कुछ देर पहले का है क्योंकि इस समय आप हिमालय की चोटियों में सूरज को डूबते हुए और आसमान में कई रंगों के हेर-फेर को देख खुद को भूल जाएंगे।
गन हिल का नाम कैसे पड़ा आइए जानते हैं। कहा जाता है कि देश की आजादी से पहले, मसूरी की इस चोटी पर एक तोप मौजूद थी जो रोजाना दोपहर बारह बजे चलाई जाती थी। इस तोप को ब्रिटिशर्स यहाँ के निवासियों के लिए समय का अनुमान लगाने के लिए चलाते थे। इस वजह से ही यह चोटी गन हिल के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
कैसे पहुँचे गन हिल:
माल रोड से 1.7 किमी की दूरी पर स्थित, इस नज़ारे तक 20 मिनट की चढ़ाई पर पहुँचा जा सकता है। चूंकि गन हिल माल रोड से 400 फीट ऊपर स्थित है, इसलिए केबल कार द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है।
कंपनी गार्डन – Company Garden
अगर आपको रंगों से प्यार है और आप रंग-बिरंगे फूलों के शौकीन हैं, तो कंपनी गार्डन, मसूरी में घूमने की जगह के लिए एक बेहतरीन स्थान हो सकता है। कंपनी गार्डन लाइब्रेरी रोड से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है और यह मसूरी में घूमने लायक सबसे बेहतरीन जगहों की सूची में शामिल है। इस गार्डन का डिज़ाइन “डॉ. एच. फैकनर” ने तैयार किया था और इसका रखरखाव मसूरी गार्डन वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा किया जाता है। इस बगीचे में टहलते हुए आपको अलग-अलग प्रकार के फव्वारे, हरे-भरे पेड़-पौधे, रंग-बिरंगे पक्षी और तरह-तरह के फूल देखने को मिलेंगे। बगीचे में एक झील भी बनाई गई है जिसमें आप बोटिंग का मजा ले सकते हैं। यहाँ कुछ समय बिताकर ऐसा लगता है मानो आप प्रकृति की गोद में बैठे हों। यह गार्डन हर उम्र के लोगों के लिए बहुत खास है, खासकर बच्चों के लिए यहाँ कोलंबस, बेबी ट्रेन, स्विंग चेयर और झूले लगाए गए हैं। इसके अलावा इसमें शॉपिंग के लिए कई दुकानें और खाने के लिए कई रेस्टोरेंट, फूड कोर्ट आदि हैं।
दलाई हिल्स – Dalai Hills
मसूरी की यात्रा पर जा रहे हों तो अपनी यात्रा की सूची में ‘दलाई हिल्स’ को जरूर शामिल कीजिएगा। इसे बुद्धा टेंपल के नाम से भी जाना जाता है जो मसूरी हैप्पी वैली के पास स्थित है। इस जगह की यात्रा करना हर किसी के लिए एक अलग ही तरह का अनुभव देता है जिसके लिए आपको लगभग एक किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यहाँ पहुँचने पर आपको बुद्ध की एक खूबसूरत प्रतिमा देखने को मिलेगी जहाँ बिना फोटोशूट के रहना मुश्किल नहीं है। इस चोटी से गढ़वाल पर्वत माला दिखाई देती है और इस जगह को तिब्बती प्रार्थना झंडों से सजाया गया है। शाम के समय हवाएँ इन झंडों को स्पर्श कर धीमे-धीमे नृत्य करती हैं। यह जगह लाल बहादुर अकादमी के ऊपर की ओर स्थित है।
कैसे पहुंचे दलाई हिल्स:
अगर आप मसूरी आकर दलाई हिल देखना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले मसूरी लाइब्रेरी चौक से करीब 3 किलोमीटर दूर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी पहुँचना होगा। यहाँ से ट्रैकिंग करके आप ऊपर इस चोटी पर जा सकते हैं।
मॉल रोड शॉपिंग मार्केट – Mall Road Shopping Market
मॉल रोड की यह सड़क लगभग 3 किलोमीटर लंबी है और मसूरी के सबसे व्यस्त स्थानों में से एक है, जो कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों को समान रूप से आकर्षित करती है। मॉल रोड पर टहलने का सबसे ज्यादा आनंद सुबह 4 बजे से 9 बजे तक लिया जा सकता है। हरे-भरे वातावरण के बीच चलती इस रोड पर मन को बड़ा सुकून मिलता है। अगर आप शाम के वक्त इस रोड पर समय बिताना चाहते हैं तो रात के 10 बजे बाद जाएँ, रौशनी और अंधेरा दोनों का आनंद उठा सकते हैं। शोर-शराबे से परे होती है, लोग टहलते हैं, खरीदारी करते हैं और क्षेत्र में मौजूद विभिन्न आकर्षणों का आनंद लेते हैं।
मॉल रोड मसूरी में मुख्य शॉपिंग हब है। हिल स्टेशन के अधिकांश प्रसिद्ध स्टोर यहाँ स्थित हैं। यहाँ की दुकानें इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और यहाँ तक कि रोजमर्रा की जरूरी चीजों को भी बेचती हैं। इसके अलावा, आप यहाँ पर ऊनी कपड़े, प्राचीन वस्तुएँ और शॉल भी ले सकते हैं। मसूरी में आपको शॉल, सजावटी सामान, तिब्बती कलाकृतियाँ और आभूषण और ऊनी कपड़े जैसी चीजें मिलेंगी। इसी मॉल रोड पर हफ्ते के एक दिन बड़ा बाजार लगता है। उस बाजार में महँगे और सस्ते दोनों किस्म के कपड़े मिलते हैं।
झरीपानी- Jharipani
अंग्रेजों के समय सेलेकर अस्सी के दशक तक झरीपानी फॉल्स अब भी सेगल्यानी यात्रियों के लिए एक पसंदीदा स्थल है। वस्तुतः मसूरी में देखने लायक बहुत सी जगहों का जिक्र हम कर रहे हैं, जिनमें एक नाम झरीपानी का भी आता है। यह वॉटरफॉल मसूरी की बहुत ही अहम जगहों में से एक है जिसे देखने से मन प्रफुल्लित हो उठता है। यहाँ कई तरह की वाटर एक्टिविटी उपलब्ध हैं, साथ ही शिवालिक रेंज का नजारा बड़ा मनमोहक दिखाई देता है।
झरीपानी मसूरी से पर्यटन के लिए 7 किलोमीटर की दूरी बस या कार द्वारा तय करके आ सकते हैं। फिर यहाँ से पदैल 1.5 किलोमीटर दूरी पर झरने तक पहुँचा जा सकता है। यह स्थान मसूरी-देहरादून रोड पर मसूरी से 7 किलोमीटर दूर स्थित है।
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस – George Everest House
यह भी मसूरी में घूमने की खास जगह जोकि जिन सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया, उन्होंने जीवन का लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था। भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ इंडिया) की नींव ब्रिटिश फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल जॉर्ज एवरेस्ट ने रखी थी। उन्होंने वर्ष 1832 में मसूरी स्थित हाथीपांव के पार्क एस्टेट क्षेत्र में इसकी स्थापना की थी। तब इसे इंडियल ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल सर्वे ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता था। मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया। 172 एकड़ भूखण्ड में बना जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला का कुछ समय पहले प्रदेश सरकार ने नवीनीकरण कराया है।
इस एवरेस्ट हाउस से दूर से गंगा घाटी, अगला नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है। जॉर्ज एवरेस्ट हाउस मसूरी का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे पार्क एस्टेट के नाम से भी जाना जाता है। यह एक इतिहासी बिल्डिंग है जो क्लाउड एंड की ओर जानेवाली सड़क पर स्थित है, तथा यह लाइब्रेरी बस स्टैंड से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मसूरी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक मानी जाती है।
जॉर्ज एवरेस्ट मसूरी से मात्र 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस तक मॉल रोड या गांधी चौक से टैक्सी किराए पर लेकर शिखर के शीर्ष तक पहुँचा जा सकता है। अगर आपको पैदल यात्रा करना पसंद है तो आपको लगभग 1.5 – 2 घंटे लगेंगे।
हैप्पी वैली – Happy Valley
मसूरी में हैप्पी वैली एक बहुत बड़ी तिब्बती बस्ती है और सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। हैप्पी वैली में एक तिब्बती मठ है जो 1959 में स्थापित किया गया था जब 14वीं शताब्दी में तिब्बती धर्म की स्थापना हुई थी। दलाई लामा ने इसी समय मसूरी में शरण ली थी। तब से लेकर अब तक यह स्थान लगभग 5000 से भी अधिक शरणार्थियों का घर रहा है। यह तिब्बती मठ तिब्बती मदिंदिरों, आईएस अकादमी और नगर उद्यानों के आवास के लिए भी प्रसिद्ध है। हैप्पी वैली जिसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता है। यहाँ के तिब्बती मदिंदिरों पर तथा उनकी दीवारों, पनीलों और छतों पर सदृश चित्रों को उकेरा गया है। जिसे देखने के लिए पर्यटक बहुत उत्साहित रहते हैं। हैप्पी वैली लाइब्रेरी पॉइंट से पश्चिम की ओर होती है और क्लाउड एंड की ओर जाती है।
धनोल्टी- Dhanolti
मसूरी गए और धनोल्टी नहीं गए तो फिर क्या घूमा। जी हाँ, धनोल्टी मसूरी से आगे एक ऐसी जगह है जहाँ देहरादून के निवासी तो हर हफ्ते जाते ही हैं, लेकिन ट्रैकिंग पसंद करने वाले लोगों की पसंदीदा जगहों में धनोल्टी प्रसिद्ध है। प्रेमियों के लिए तो यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं कही जाती है। धनोल्टी शांत और छोटा सा शहर है जो चंबा-मसूरी रोड पर समुद्र तल से 2,250 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। शहर से दूर यह जगह आपको घास के मैदानों, घने जंगलों और कल-कल करती नदियों के बहुत करीब ले जाएगी। छोटा हिल स्टेशन होने के बाद भी धनोल्टी अपने कई इतिहासों को समेटे हुए है। धनोल्टी कई रिसॉर्ट्स और कैंपिंग स्थलों से भरा हुआ है, यहाँ आप मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। धनोल्टी दो तीन दिन का ट्रिप है। अगर आप फैमिली के साथ मसूरी का ट्रिप कर रहे हैं तो धनोल्टी जरूर जाएं।
धनोल्टी में घूमने के कुछ प्रचलित स्थान:
1. दशावतार मंदिर – Dashavatar Temple
2. देवगढ़ किला – Deogarh Fort
3. इको पार्क – Eco Park
4. सुरकंडा देवी मंदिर – Surkanda Devi Temple
कैसे पहुँचे धनोल्टी:
देहरादून से 51 किमी की दूरी पर जॉली ग्रांट एयरपोर्ट सबसे पास का हवाई अड्डा है। पहले आप अपने स्थान से वहाँ तक सफर तय कर सकते हैं, फिर वहाँ से धनोल्टी पहुँचने के लिए आप बस या टैक्सी ले सकते हैं।
रेल द्वारा जाने के लिए देहरादून रेलवे स्टेशन सबसे पास है। पहुँचने के बाद वहाँ से धनोल्टी के लिए बस या टैक्सी लें। धनोल्टी से देहरादून की दूरी करीब 37 किमी है।
सड़क द्वारा भी इस पहाड़ी जगह के लिए अन्य शहरों से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। दिल्ली से धनोल्टी की दूरी NH 709B और NH 334 के माध्यम से 297 किमी है। आप अपनी सुविधा अनुसार अपना यातायात साधन चुन सकते हैं।
मसूरी कैसे पहुँचें?
मसूरी उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन है, लेकिन यह सीधे तरीके से विमान और रेलमार्ग के जरिए देश के किसी भी शहर से नहीं जुड़ा है। इसलिए मसूरी केवल बस परिवहन के जरिए ही पहुँचा जा सकता है। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि आप कौन से शहर से मसूरी जाने की योजना कर रहे हैं, उस पर आपके परिवहन निर्भर करते हैं। अगर आप देहरादून से बाहर किसी अन्य शहर से मसूरी जा रहे हों तो आपके लिए प्लेन या रेलमार्ग का साधन खुल सकता है।
चलिए विस्तार रूप में यह जानते हैं कि कहाँ से मसूरी की दूरी कितनी है और आप कैसे उस स्थान से मसूरी की यात्रा कर सकते हैं।
वायु मार्ग:
मसूरी में किसी भी प्रकार की विमान या रेल सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन यहाँ का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जौलीग्रांट हवाई अड्डा है। इस एयरपोर्ट से मसूरी की दूरी करीब 59 किलोमीटर है। अगर आप मुंबई से मसूरी पहुँचना चाहते हैं या लखनऊ से मसूरी चाहते हैं तो देहरादून तक की फ्लाइट पकड़ सकते हैं। मुंबई से देहरादून पहुँचने में हवाई जहाज 2.30 घंटे लेता है। और देहरादून से मसूरी आप बस के जरिए पहुँच सकते हैं। अगर आप बस से नहीं जाना चाहते हैं तो देहरादून से आप अपनी पर्सनल कैब भी कर सकते हैं जो आपको एक से दो घंटे में मसूरी पहुँचा देगी।
ट्रेन से मसूरी कैसे पहुँचे:
अगर आपके पास समय है और आप प्लेन पर खर्चा नहीं करना चाहते हैं तो मसूरी की खूबसूरत वादियों में घूमने के लिए ट्रेन का सफर एक अच्छा विकल्प है। ट्रेन का सफर बहुत ही आरामदायक रहता है। मसूरी जाने के लिए आपको सबसे पहले अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन जाना होगा। वहाँ से पहले देहरादून रेलवे स्टेशन पहुँचना होता है। दिल्ली से मसूरी पहुँचने के लिए आप शताब्दी ट्रेन पकड़ सकते हैं जो देहरादून तक जाती है। मुंबई से देहरादून के लिए भी सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध है जो बांद्रा टर्मिनस होकर चलती है। मुंबई से देहरादून पहुँचने में ट्रेन 30-42 घंटे लेती है। इसके अलावा जयपुर से मसूरी के लिए उत्तरांचल एक्सप्रेस सीधी ट्रेन है जो देहरादून उतारती है, लेकिन यह ट्रेन केवल शनिवार वाले दिन ही चलती है।
मसूरी का सबसे निकट रेलवे स्टेशन देहरादून है। देहरादून का बस स्टैंड रेलवे स्टेशन के बहुत पास ही स्थित है। सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक मसूरी जाने के लिए बस मिल जाती है। दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, लखनऊ, कोलकाता जैसे शहरों से एक्सप्रेस ट्रेनों का आवागमन होता रहता है, जिससे आप देहरादून तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग:
मसूरी केवल और केवल सड़क मार्ग द्वारा ही जाया जा सकता है। इसके लिए आप कैब, निजी कार या फिर बस से भी मसूरी जा सकते हैं। स्टेट ट्रांसपोर्ट और निजी ऑपरेटर्स की लग्जरी बसें नियमित तौर पर देहरादून और दिल्ली से उपलब्ध रहती हैं। अन्य जगहों से भी देहरादून की बसें निरंतर चलती रहती हैं।
कैसे, कब और किसने की मसूरी की खोज
यह कहा जाता है कि 19वीं सदी की शुरुआत में ही मसूरी में वे सारी सुविधाएँ थीं, जो उस समय इंग्लैंड में हुआ करती थीं। इसके पीछे एक बड़ा इतिहास है, लेकिन हम यहाँ संक्षिप्त में चर्चा करेंगे।
मसूरी में उपलब्ध जिन सुविधाओं की बात हम कर रहे हैं, उनका श्रेय एक अंग्रेजी सेना के अफसर कैप्टन फ्रेडरिक यंग (Captain Frederick Young) को जाता है। फ्रेडरिक यंग 18 (अट्ठारह) साल की उम्र में ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए और वर्ष 1814 में उनका ट्रांसफर देहरादून हो गया। कैप्टन यंग मसूरी की सुंदरता पर इतने मंत्रमुग्ध हो गए कि उन्होंने यहीं जीवन बिताने का मन बना लिया। उन्होंने वर्ष 1823 में मसूरी (Tourist Place Mussoorie) को बसाने का कार्य शुरू किया क्योंकि उन्हें यह जगह आयरलैंड की तरह लगती थी। पहले मसूरी एक निर्जन पहाड़ हुआ करता था। सुख-सुविधाओं के अभाव के कारण यहाँ गुजर-बसर करना मुश्किल था। कैप्टन यंग ने अपने अंग्रेज अफसरों को यहाँ सैनिकों के लिए सैनिटोरियम बनाने के लिए मनाया, जो वर्ष 1827 में बनकर तैयार हुआ।
1828 में लंढौर बाजार की नींव रखी गई। 1829 में मिस्टर लॉरेंस ने लंढौर बाजार में पहली दुकान खोली, जिस जगह पर यह दुकान खोली गई वहाँ पर आज मसूरी का मुख्य डाकखाना है। अंग्रेजों द्वारा बसाए गए अन्य पहाड़ी नगरों की तरह इसका मुख्य हिस्सा भी माल कहलाता है। पहले यह माल रोड पिक्चर पैलेस से पब्लिक लाइब्रेरी तक हुआ करता था। धीरे-धीरे यहाँ बसावट शुरू हो गई और मसूरी अंग्रेज अफसरों के लिए एक पर्यटन स्थल बनता चला गया।
अंत में
इन दस पर्यटन स्थलों के विषय में हमने यहाँ जो भी जानकारी दी है, उम्मीद है कि यह आपको पसंद आएगी। इन जगहों से जुड़ी आपकी कोई याद या ऐसा वाकया है जिसे आप कभी नहीं भूल सकते, तो हमसे कमेंट के जरिये जरूर साझा करें। लेख के विषय में आपकी प्रतिक्रिया का भी हमें इंतजार रहेगा।
गौरव कंडारी, उत्तराखंड के छिपे हुए स्थानों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अपने लेखों में संजोया है। जहाँ वह अपने अनोखे यात्रा का अनुभव साझा करते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाना है, ताकि लोग इस सुंदर सा राज्य की विशेषताओं का आनंद ले सकें।